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Mani Loke

Drama Tragedy Fantasy

3  

Mani Loke

Drama Tragedy Fantasy

डूबता सूरज

डूबता सूरज

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डूबते सूरज को देख कर वह रो रही थी,    

जिसका काम था आशियाँ बनाना, वह सड़क पर सो रही थी ,   

डूबते सूरज को देख कर वह रो रही थी।       

गोद में ले कर अपनी मासूम कली को,   

अपने और उसकी किस्मत को रो रही थी,   

हाँ अंदेशा था उसे, ठंड के बढ़ने का,   

बारिश के घटने का और साड़ी में सिकुड़ने का।  

सुनाती थी अपने बच्ची को वो लोरी, 

चंदा मामा आएगा, ठंड को बढ़ाएगा। 

मासूम परी क्या समझ पाती, दुःख उसका सुन कर मैं तड़प जाती।

हाँ यही हथेलियां थी,  जिसने बनाई थी कई इमारतें।   

पत्थर तोड़ा था, रेत ढोया था, अपने उन्हीं हाथों से। 

विधी का विधान देख कर, वह हंस पड़ी थी,  

एक भी छत को ना पाकर वो रो पड़ी थी।  

जिसका काम था आशियाँ बनाना,  वह सड़क पर सो रही थी।  

डूबते सूरज को देख कर वह रो रही थी।।               


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