रौशनी उसकी
रौशनी उसकी
रौशनी है तेरी तभी हम सब चमकते हैं
खुदाया तेरी असमत से ये नगमें दमकते हैं
कभी जब हम हैरान होकर किसी की खूबसूरती पर
तारीफ़ के पुल बनाया करते है वहीं हम भूल जाते हैं
के रौशनी है तेरी तभी हम सब चमकते हैं
खुदाया तेरी असमत से ये नगमें दमकते हैं
न कोई तुझ सा हुआ पैदा न कोई तेरे बराबर है
तू मालिक है हमारा हम तो तेरी ही रियाया हैं
निगाहें करम हम पर रहे तेरा हमेशा ही
तुझे भूले से जो भूले तो दुख उस पर बरसते हैं
मशक्कत यूं तो दुनिया में हर कोई को करनी होती है
निगाहें पाक रख कर करें तो सफलता हासिल ही होती है
न घबराना न शर्माना परस्तिश कभी जाया नहीं जाती
मिला करता है फल उसका ये छप्पर फाड़ कर भी देता है
इरादा हो अगर पक्का और निगाहें दूर दृष्टि सी
राह बनती है पत्थर से के जैसे नदिया बहती है
रौशनी है तेरी तभी हम सब चमकते हैं
खुदाया तेरी असमत से ये नगमें दमकते हैं
