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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Abstract Fantasy

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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Abstract Fantasy

मन की तरंग

मन की तरंग

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आज हिलोरें मारती है मन की तरंग

दीयों की रोशनी से रोशन है घर-आँगन

कहीं पर पटाखे, कहीं पर फुलझड़ियाँ

कहीं झालरों की लगी सुंदर लड़ियाँ

बताशे, चूरा, रेवडी़ और भिन्न-भिन्न मिठाई

छाई हैं खुशियाँ आज दीपावली है आई

प्रेम और सौहार्द से त्योहार सभी मनाना

सबसे प्रेम करना किसी को न सताना

त्योहार सीख देता मिल के है हमको रहना

एकता और भाईचारा मानव का है गहना

आओ! हम मिलकर दीपावली मनाएँ

चहुँ ओर फैले खुशियाँ दुख-दर्द भूल जाएँ।


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