साथ वाली दीवाली
साथ वाली दीवाली
आनंद त्योहारों का चार गुना हो जाता,
जब पूरा परिवार एक जगह एकत्रित हो खुशियां मनाता।
मिठाई खानी हो या जलानी हो पटाखों की लड़ी
बच्चों के संग बड़ों में भी अति उत्साह आ जाता।
खिल जाती है बूढ़े मां बाप के चेहरों पर मुस्कान
क्योंकि एक बार फिर उनके आंगन में बच्चों का बचपन
नाती पोतों के रूप में खेलने आ जाता।
एक दूसरे से मिल लेते हैं सभी त्योहारों के बहाने से
वरना इस व्यस्त जीवन में अपनों से मिलने का भी
वक्त कहां मिल पाता।
त्योहारों की वजह से ही घर के बुजुर्ग बच्चों का
अपनी संस्कृति से परिचय करवाते,
तभी तो पीढ़ी दर पीढ़ी हर त्योहार उसी उत्साह से मनाया जाता।
