चिंता और चिता
चिंता और चिता
चिंता और चिता एक समान ही होते,
दोनों में सिर्फ एक बिन्दु का अन्तर है।
चिता मरने के बाद शरीर को है जलाती,
चिंता उम्र भर शरीर को जलाती रहती है।
चिंता से चतुराई घटती है,
और कमजोर कर चिता बना देती है।
तथापि हमें चिन्ता से बचना चाहिए,
खुशियों को अपनाना ही सुखद है।
