मेरा भारत खतरे में !
मेरा भारत खतरे में !
एक कन्हैया अकेला कब तक
आवाज़ उठाएगा
देश का रक्षंक मालिक भक्षक
कब तक रिश्वत खायेगा
जाति-धर्म,मज़हब-संप्रदाय पे
वो कब तक हमें लड़ायेगा
कैसे जागेगी तुम्हारे
अंदर कि इंसानियत,
तुम्हे कब समझ आएगा
शिक्षा ही एक माध्यम हैं
जागने कि,ख़ुद को जानने कि,
ज़ब वही बंद कर दिया जायेगा
अब देर नहीं ज़ब वो दिन आएगा,
इंसानों के गले में पट्टा बांधके
डॉगी बुलाया जायेगा
सत्ता के गलियारों में जो
अपनी टाँग लड़ायेगा,
एंटी नेशनल,देश-द्रोही
नहीं तो ठोक दिया जायेगा
केश, मुक़दमा कुछ भी नहीं,
एक्सीडेंट बता दिया जायेगा
समानता हो जाये लोगों में,
आखिऱ कब वो दिन आएगा
डरके बुज़दिल, कायर, डरपोक
आखिऱ कब शेर कहलायेगा
रेल बेच दी गई, देखते-देखते
एक दिन तू भी बेच दिया जायेगा
इन ज़ालिम,ज़ाहिल-गवारों से
देश कौन बचाएगा
एक कन्हैया अकेला
कब तक आवाज़ उठाएगा !
