मां का लगाया पेड़
मां का लगाया पेड़
मां के लगाये इस पेड़ के नीचे बड़ा ही सुकून मिलता है।
छाया में इसकी मां के आंचल की छांव का एहसास होता है।
पूरे घर को छोड़कर हम बहनें इसके नीचे बैठकर
पूरी दोपहर निकाल देती हैं।
यहां बैठकर मां के प्यार की शीतलता का एहसास होता है।
इसकी शीतलता के आगे ए सी की ठंडक भी फीकी है।
कितनी भी हो गर्मी इसकी हवा जब माथा चूमती है
तो जैसे मां अपने पल्लू से पसीना पोंछ देती है।
ससुराल से जब मायके आती हूं तो बाहर चबूतरे पर खड़ा ये पेड़
बाहें फैलाए हमारा इंतजार करता मिलता है।
शाखें हिलाकर अपनी खुशी जाहिर करता मिलता हैं।
चूमकर इसके तने को हमें भी बड़ा सुखद अहसास होता है।
मां चली गई पर अपने आशीर्वाद के रूप में
प्यार से बड़े किए पेड़ की छाया छोड़ गईं।
जैसे साथ में हम भाई बहनों के लिए ममता और
स्नेह से भरा अपना इक अंश दे गईं।
आपको खोकर भी मां आपका प्यार वापिस पाया है।