अंतिम
अंतिम
अंतिम पल क्या लिखूं मैं
सांसो की जंग छिड़ी है मन में
याद कभी जो उसे आये
मन भर जाए
जीवन यह एक डोर, उन्मादों की एक चोट
हमारा स्वार्थी रूप शिशुपन
शरारत पूर्ण बाल्यवस्था
हँसती खेलती युवावस्था,
वृद्धावस्था तक का ये सफर एक अंतिम पल
पर पतझड़ के बाद ही आता फिर से नया बसन्त
खिलते नए फूल, नए पते, नई बिखरी खुशबू
अंतिम पल के कागज पर लिखूं मैं एक नया जीवन
जहां फिर से मन तरंगों की नई होगी एक लहर
जहाँ फिर से सजेंगी नए सपनों की कड़ियां
लिखूं मैं एक नया अंतिम पल, अंतिम पल वो जो फिर से आये।
लिखूं मैं एक नया अंतिम पल
