खामोशी
खामोशी
तेरी खामोशी को हम समझ ना पाये
तेरे आने का ज़िक्र हम किसी से कर ना पाये
भूल हो गयी हमसे जो हम समझ ना पाये
तुमको सही से समझ ना पाये ।
कर दो माफ हमको एक बार।
कसमकस दिल की यूं गीतही नहीं जाती दिल की
थोड़ा तो दिल की सुनो थोड़ा तो मुझको समझों ।
एक खामोशी कह रही है
दिल की सुन पर कुछ तो सुन
रूठ कर ऐसे जाना
पर मनाने पर वापस जरूर आना
तुझें जाते देख रही हैं वो नजरे
जिसे चाहता तू हर पल , बस पल -पल
एक ख़ामोशी कह रही है कुछ तो सुन
वक्त की नई घड़ी बांध
गुजरे पलो को फिर याद कर
तेरे जाने में एक हार , तो एक अहसास फिर आने का है
गिरते आसुंओ की सरगम देख
यादों के पलो का एक गीत तो सुन
वो भी ना सही पर एक खामोशी कह रही
कुछ तो सुन ।

