बरसात के कुछ पल
बरसात के कुछ पल
बरसात के कुछ पलों को समेट लू
उस बूंदा -बूंदी में खुद को पा लूँ
निर्मल पानी को पी जाऊँ उस पल
कुछ पल सुकून के पल जी लूँ उस पल
कर लूँ थोड़ा सा ख़ुद को खुश
खेल के उन बारिश की बूंदों से
बरसात के कुछ पलों को मैं समेट लू
छिपा लूँ अपने आँसू बरसात की बूंदों से
बहा दूँ अपने दर्द बरसात की बूंदो से
और बन जाऊँ एक नदिया
जो अपना मार्ग खुद बनाती
जी लूँ कुछ बरसात के पल
ओर समेट लूँ कुछ बरसात के पल
बनके धारा उड़ चलूँ बादलों के संग
फिर आ जाऊँ बरसात की बूंद बनकर
गिरकर किसी के चेहरे पर खुशी दे जाऊँ
उसमें नवयौवन की नई तरंग दे जाऊँ
कुछ बरसात के पल को जीत जाऊँ।