ढलते देखा
ढलते देखा
किनारे पर आ के देखा उस ढलते सूरज को
जो फैला रहा था क्षितिज पर
अपनी किरणों का एक जाल
उस पल को देखकर अनुभव हुआ
दौड़ती, भागती जिंदगी में कुछ
सुकून के पल मिल जाये तो
मन खुश हो जाये।
कभी कभी ढलते सूरज को देखना
देगा तुम्हें कुछ सन्देश
बतायेगा धैर्य की एक परिभाषा
करवाएगा तुम्हें शीतलता भरे जीवन का एहसास
सिखलायेगा कोमल कोमल अनुभवों की रंजिश को
किनारे पर आ के देखा उस ढलते सूरज को ।
