प्रेम स्नेह सहित संभालकर रखें अपने इहलोक बंधन, बुढ़ापे में एकांत जीवन से मुक्ति के लिए यही... प्रेम स्नेह सहित संभालकर रखें अपने इहलोक बंधन, बुढ़ापे में एकांत जीवन से म...
आज कतराता है मिलने, वृद्धाश्रम मे मेरा अपना , सोचता हूँ, क्या यही है, वह हमारा अज़ीज सपना? आज कतराता है मिलने, वृद्धाश्रम मे मेरा अपना , सोचता हूँ, क्या यही है, ...
I am deleting my poems. I am deleting my poems.
आखिर क्यों एक अपराध है यह वृद्धावस्था का प्रेम। आखिर क्यों एक अपराध है यह वृद्धावस्था का प्रेम।
यह कविता कल आज और कल का दर्शन कराती है। यह कविता कल आज और कल का दर्शन कराती है।
पर जीवन की संध्या बेला में ये एहसास चरम पर होता है ।। पर जीवन की संध्या बेला में ये एहसास चरम पर होता है ।।