वृद्धावस्था
वृद्धावस्था
अब कुछ सूझता नहीं मुझे मैं क्या करूँ
जब बैठ जाता है कोई पास
उसके हाव भाव बस यूँ ही पढ़ लेता हूँ
अब बोला नहीं जाता मुझसे मैं क्या करूँ
इसीलिए चुपचाप सब सुन लेता हूँ
भला बुरा कोई कुछ भी कहे मन मे ही छुपा लेता हूँ
अब चबाई नहीं जाती रोटीयां मुझसे मैं क्या करूँ
इसीलिए कड़वी दवाएं ले लेता हूँ
रस खरीद नहीं सकता फलो के
पानी से ही काम चला लेता हूँ
अब साथ नहीं देते मेरे हाथ पांव मैं क्या करूँ
इसीलिए दूसरो की मदद ले लेता हूँ
जब कर देता है कोई इंकार
तब किसी दूसरे का इंतज़ार कर लेता हूँ
अब चला नहीं जाता मुझसे मैं क्या करूँ
इसीलिए बेंत का सहारा ले लेता हूँ
कहीं गिर ना पडूँ एकदम से
यही सोच कर कदम पीछे हटा लेता हूँ
अब कम दिखता है ढलती उम्र मे मुझे मैं क्या करूँ
इसीलिए भारी सा चश्मा लगा लेता हूँ
जब मिल जाती है यादों की किताब
कुछ पन्ने बस यूँ ही पलट लेता हूँ।
