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MS Mughal

Abstract Romance Fantasy

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MS Mughal

Abstract Romance Fantasy

नर्गिस

नर्गिस

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186

( 01 )

वोह नर्गिस ए फ़ुसूँ, फ़ुसूँकार है साक़ीयह इश्क़ ए जुनूँ, दीवानावार है साक़ी

फ़ुसूँकार ( जादूगर )

( 02 )

बज़्म ए अंजुमन में, वोह माह ए रश्कवो रौनक ए कूचा ओ बाज़ार है साक़ी

( 03 )

गुल बु, गुल बदन, गूंचा ए लब ए दहन वहीं गुल ए गुलशन वहीं गुलज़ार है साक़ी

गूंचा ए लब ए दहन ( छोटे फूल सा लब )

( 04 )

आतिश ए हुस्न में जलता रहा दिल हसन वोह हुस्न ए संग ए बुता शफ़क़ज़ार है साक़ी

हुस्न ए संग ए बुता ( पत्थर की मूरत का हसन ) शफ़क़ज़ार ( जवानी से भर पुर )

( 05 )

बेचते क्या हो दिल ए नादा को तुम हसन वहीं करार ए दिल वहीं खरीदार है साक़ी



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