बज़्म ए अंजुमन में, वोह माह ए रश्कवो रौनक ए कूचा ओ बाज़ार है साक़ी बज़्म ए अंजुमन में, वोह माह ए रश्कवो रौनक ए कूचा ओ बाज़ार है साक़ी
बज़्म ए अंजुमन में , वोह माह ए रश्क वो रौनक ए कूचा ओ बाज़ार है साक़ी बज़्म ए अंजुमन में , वोह माह ए रश्क वो रौनक ए कूचा ओ बाज़ार है साक़ी