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Sangeeta Pathak

Fantasy Others

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Sangeeta Pathak

Fantasy Others

उड़ान

उड़ान

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मेरा मन पंछी बन,

कल्पना के पंख लगा,

सृजन आकाश में उड़ चला।


नये क्षितिज, नये उपमान

नये प्रतीक ढूँढ़ता रहा।


हंस बन शब्द मोती

निशि दिन चुगता रहा।


भर क्षितिज तक नयी उड़ान,

जीवन लक्ष्य को ढूँढ़ता रहा।


मेरा मन पंछी बन

सृजन आकाश में उड़ता रहा।


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