STORYMIRROR

Sangeeta Pathak

Fantasy Others

3  

Sangeeta Pathak

Fantasy Others

उड़ान

उड़ान

1 min
265

मेरा मन पंछी बन,

कल्पना के पंख लगा,

सृजन आकाश में उड़ चला।


नये क्षितिज, नये उपमान

नये प्रतीक ढूँढ़ता रहा।


हंस बन शब्द मोती

निशि दिन चुगता रहा।


भर क्षितिज तक नयी उड़ान,

जीवन लक्ष्य को ढूँढ़ता रहा।


मेरा मन पंछी बन

सृजन आकाश में उड़ता रहा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy