अमृत महोत्सव
अमृत महोत्सव
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घर घर तिरंगा लहराया
हमने आजादी का जश्न मनाया,
पर आज भी हमने स्त्रियों के लिए
अपने विचारों को बदल न पाया।
घूंघट में स्त्री रहे इस सड़ी गली मानसिकता के
आज भी हम गुलाम है,
इस स्वतंत्रता दिवस पर हम स्त्रियों को
भी अपने हिस्से की स्वतंत्रता पाने की दरकार है।
न जाने कब स्त्रियों के जीवन में वो अमृतदिवस आयेगा
जब सभी की नजरों में स्त्रियों को समान समझा जायेगा।