शायद तुम इस पथ पर आए पहली पहली बार बटोही। शायद तुम इस पथ पर आए पहली पहली बार बटोही।
लगता था बहुत आसान है सब, पर कुछ भी आसान नहींं। लगता था बहुत आसान है सब, पर कुछ भी आसान नहींं।
क्योंकि प्राइवेट नौकरी ही आजकल ईमानदार होती है। क्योंकि प्राइवेट नौकरी ही आजकल ईमानदार होती है।
खोल दियो सब राज विहंसि कर पत्नी बोली। खोल दियो सब राज विहंसि कर पत्नी बोली।
कभी इन से रिहाई की आरजू की ख्वाहिश होगी। कभी इन से रिहाई की आरजू की ख्वाहिश होगी।
ये जो मेरा किरदार है; शायद वक्त की यही दरकार है। ये जो मेरा किरदार है; शायद वक्त की यही दरकार है।