मेरी कविता
मेरी कविता
जाने क्यों तुमसे मिलने की
आशा कम विश्वास बहुत हैं
पुष्प को छूना नहीं ज़रूरी
महक का आभास बहुत है
मिलना तो मन का होता है
तन की क्या दरकार बटोही
शायद तुम इस पथ पर आए
पहली पहली बार बटोही।
जाने क्यों तुमसे मिलने की
आशा कम विश्वास बहुत हैं
पुष्प को छूना नहीं ज़रूरी
महक का आभास बहुत है
मिलना तो मन का होता है
तन की क्या दरकार बटोही
शायद तुम इस पथ पर आए
पहली पहली बार बटोही।