जिंदगी के अफसाने
जिंदगी के अफसाने


जिंदगी तेरी यह कैसी कहानी है
कहने को यहाँ हर शख्स जुदा है
फिर भी सभी एक ही कश्ति हैं सवार
पल भर की सियासत है फिर भी यादों और
हसरतों का काफिला बड़ा है बनाया हमने
क्या सच है क्या है फसाना गुमां फिर भी
सब पर यूँ यकीं है कि वो नहीं तो हमें सासों कि
रहगुजर दरकार नहीं यह खबर नहीं दीपा हमें
कब तक जमाने के दस्तूरों से पशेमां होना होगा
आज हमारे लफ्जों ने सुनहरी जंजीरों से सहेजा है और
कभी इन से रिहाई की आरजू की ख्वाहिश होगी।