बचपन की यादें
बचपन की यादें
जब हम छोटे बच्चे थे....
खुश होने को न कोई पैसे लगते थे
न चाहिये होते थे महंगे खिलौने न मोटर कार
बस एक टूटी मटकी का टुकड़ा,मां की टूटी हुई चूड़ियां
और पापा की साइकिल का खराब टायर और दोस्तों का साथ
बस इनसे ही खुशियां अपार मिला करतीं थीं।
गर्मियों की छुट्टियों में नानी के घर जाना
वहां जाकर नये दोस्त बनाना नानी से
किस्से कहानियों में न जाने कितनी ज्ञान की बातें सीख जाना
बस यही तो हमारी बचपन में अमूल धरोहर होती थी।
वो माचिस की डिब्बी और रेडियो के तार से टेलीफोन बनाना
मिट्टी से नये-नये खेल खिलौने बनाना
न जाने कितने अविष्कार हम यूं ही
खेल-खेल में कर लेते थे
जब हम छोटे बच्चे थे खुश होने को न कोई पैसे लगते थे।