कविता वाली और उसकी कविताएँ
कविता वाली और उसकी कविताएँ
किसी को शायरी किसी को कविता तो
किसी को कव्वाली से प्यार हुआ
लोग उसे सुनकर ताली बजाते रहे और
मुझे वहां उस कविता वाली से प्यार हुआ
वह मंच पर बैठे हुए सभी को
अपने चार लाइनें सुना रही थी
मैं तो खोया था कहीं और बस
होठों पर मुस्कुराहट आ रही थी
ये इश्क करना भी मुझे तो
उसकी कविताओं ने सिखाया है
प्यार तो हर जगह ढूंढा लेकिन
अब जाकर कविता वाली में पाया है
सब कहते हैं भुला दो उसे
ये मत सोचो प्यार कोई खेल है
अरे तुम खुद ही जाओ बता दो
उसकी कविताओं से मेरा मेल है
उसने कविताओं में कहा था
प्यार किसी एक से करना चाहिए
इश्क करना है तो आशिक से करो
ना किसी दिल फेंक से करना चाहिए
प्यार किसे कहते हैं ये भी मुझे
उसकी कविताओं ने सिखाया है
उसके प्यार ने सिर्फ आशिकी नहीं
बल्कि मुझे शायर भी बनाया है

