कल के लिए
कल के लिए
यह वक्त ठहर-सा जाये,
बस कुछ पल के लिए,
कुछ लम्हें चुरा लूँ,
मैं कल के लिए ।
यकीन नहीं होता,
कभी खुद पर,
भरोसा करूँ,
या ना करूँ ।
अजीब-सी,
बेचैनी होती है,
जब भीड़ में भी,
तन्हाई होती है ।
यह वक्त ठहर-सा जाये,
बस कुछ पल के लिए,
कुछ लम्हें चुरा लूँ,
मैं कल के लिए ।
यकीन नहीं होता,
कभी खुद पर,
भरोसा करूँ,
या ना करूँ ।
अजीब-सी,
बेचैनी होती है,
जब भीड़ में भी,
तन्हाई होती है ।