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आनंद कुमार

Comedy

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आनंद कुमार

Comedy

कहते हमें वकील हैं

कहते हमें वकील हैं

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डर लगता है जिन गलियों में सबको,

उन गालियों में चलता हमारा नाम है।


अधिवक्ता कहते हैं हमको श्रीमान,

और मुक़दमा लड़ना हमारा काम है।


मुव्किल के ताबूत की आखिरी कील है,

इसलिए लोग कहते हमें वकील हैं।


कोई दुःख में करता है याद, तो कोई संकट में आता है,

 हमें बचा लो! वकील साहब, भय से वह चिल्लाता है।


पहले कलह होती है, फिर कोर्ट में जिरह होती है,

कभी हो जाता है फ़ैसला, और कभी सुलह होती है।


न्यायालय में तो बस बाक़ी यही काम है,

तारीख पर तारीख पड़ना जैसे यहाँ आम है।


अंगराज कर्ण के बाद बस वकील ही हैं,

जो ग़लत होने पर भी साथ निभाते हैं।


चाहे लगी हो कितनी भी दफाऐं, 

आपको वकील ही आज़ाद करातें हैं।


लग जाए कितना भी समय,  

केस को उसके अंजाम पर पहुंचाते हैं।


मगर कभी- कभी हम गर्द उड़ा देते हैं ,

मजाक मजाक में ही सही, दो पक्षों को लड़ा देते हैं।


बात तो कुछ भी नहीं होती है,

मगर खींच कर तिल का ताड़ बना देते हैं।


जब अपना साया भी साथ छोड़ देते है ,

तब हम अभियुक्त की परछाईं बन जाते हैं।


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