STORYMIRROR

अनजान रसिक

Drama Inspirational

4  

अनजान रसिक

Drama Inspirational

जीना इसी का नाम है

जीना इसी का नाम है

2 mins
392

जो आँख आज नाम है मेरी, तू क्यों हँसता और परिहास करता है

चिरस्थायी है सब, आज गम है जीवन में तो कल खुशियों का मेला है।

आँख आज नम है मेरी तो कल तेरी भी होगी,

ये जीवन तो एक चक्रव्यूह है जिसके घेरे से मुक्त ना रह सका कोई भी।

मुझ पर क्या इलज़ाम लगाता है,अपने कर्मों का ही भुगतान करता है हर पल तू,

पाली ईर्ष्या और द्वेष हृदय में सदा ही,फिर अमृत रसपान की अपेक्षा कैसे करता है तू।

भिखारी कोई धन से है तो किसी को ख़ुशी की दरकार है,

जो खड़ा ना हुआ किसी के आड़े वक़्त में, वही आज लगाता सबसे मदद की गुहार है।

सबको अपने-अपने हिस्से के गम झेलने हैं, सब की लकीरें और भविष्य तैयार हैं,

घमंड हो गया जिसे बेशुमार दौलत पर आज, क्या पता कल वो किस का कर्ज़दार है।

जब थाम के जीवन और ये तन ही ना रख सके, तो व्यर्थ है लिप्सा और मोह माया,

पैसे के पीछे भाग-भाग कर ही भाई, भाई का दुश्मन भी बन गया 

और रिश्तों जैसी सच्ची निधि को संजो के ना रख सका।

बेकार की चिंता पालकर अनमोल जीवन को यूं ही व्यर्थ गंवा दिया,

जब जीवन जीना चाहा तो जीवन साथ छोड़ कर चला गया।

आज का दिन ही बस अपना है, ना गुज़रा हुआ पल वापिस आएगा,

ना ही आने वाले कल का कोई भरोसा है,

सांसें सबकी गिनी चुनी हैं पर कितनी बाकी हैं ये किसी को ना पता है।

ख़ुशी के पीछे भागना छोड़ दे, वो तो तेरे साथ ही हैं,

परिवार और मित्र साथ हैं अगर तो सारा धन सारा ऐश्वर्या तेरे ही पास है।

जी ले भरपूर इस लम्हे को, क्या पता कल हो ना हो

मजा ले ले पल-पल का तू, क्या पता ये मंज़र,ये नज़ारे फिर नसीब हो ना हो।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama