Kumar Vikash

Romance Others

3.5  

Kumar Vikash

Romance Others

जब तुम सामने होती हो

जब तुम सामने होती हो

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इस तपन भरे मौसम में जब मैं तुम्हें देखता हूँ,

कड़ी धूप में भी तुम छाँव सा आभास कराती हो।

जीवन में मेरे कितनी भी अगन हो तपन हो,

जब तुम सामने होती हो शीतल पवन सा

अहसास कराती हो।


था मैं कुछ भी तो नहीं तुमसे मिलने के पहले,

एक तुम ही तो हो जो मेरे मन उपवन को

फूलों सा महकाती हो।

हाँ तुम मेरे जीवन में शामिल तो नहीं किसी 

संगिनी की तरह,

पर वो तुम ही हो जो मेरे मन मंदिर में प्रेम का

अनुराग जगाती हो।


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