जब से ली सपनों ने अंगड़ाई
जब से ली सपनों ने अंगड़ाई
जब से ली सपनों ने अंगड़ाई
नींद तो लगती हैं पराई
होश न हमें न ख्याल
चली जो प्रीत की पुरवाई
मौसम भी हुआ खुशनुमा
ऐसी देखो ऋतु छाई
दूर हुआ मन का अंधेरा
हर तरफ हैं रोशनाई
मीत तेरे मिलने से
जीवन में बहार आई
तेरा ये प्रेम पाकर
दूर हुई मेरी तनहाई
तेरे साये तले ही मैंने
अब दुनिया अपनी बसाई

