STORYMIRROR

Vaishnavi Mohan Puranik

Romance

3  

Vaishnavi Mohan Puranik

Romance

जब से ली सपनों ने अंगड़ाई

जब से ली सपनों ने अंगड़ाई

1 min
193

जब से ली सपनों ने अंगड़ाई

नींद तो लगती हैं पराई 

होश न हमें न ख्याल 

चली जो प्रीत की पुरवाई 

मौसम भी हुआ खुशनुमा 

ऐसी देखो ऋतु छाई

दूर हुआ मन का अंधेरा 

हर तरफ हैं रोशनाई 

मीत तेरे मिलने से

जीवन में बहार आई 

तेरा ये प्रेम पाकर

दूर हुई मेरी तनहाई 

तेरे साये तले ही मैंने

अब दुनिया अपनी बसाई



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance