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Bhavna Thaker

Abstract Romance

4  

Bhavna Thaker

Abstract Romance

इश्क की आराधना

इश्क की आराधना

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इश्क की आराधना कुछ यूँ करते है अहसास मेरे, तुम सा कोई देवता ओर कहाँ जगत में..

सार्थक समझूँ जन्म लेना मैं अलकनंदा सी उतरूँ, गर तुम दरिया से मुझे थाम लो..  


तुम्हारे अस्तित्व में खुद को मोम की भाँति पिघलाना, दुनियावी हर खुशियों से अज़िज है मुझे..

कहो भला तुम्हारे सुहाने साथ से बढ़कर, मेरी ज़िंदगी की कीमत और क्या हो सकती है..


बेशकीमती सुख है तुम्हारी मौजूदगी, कहाँ किसी ओर ज़ेवर की मेरी प्रीत को तमन्ना.. 

हो तुम जो आसपास मेरे तो ज़िंदगी साँसे लेती है, बिन तुम्हारे लगे ज़िस्त मौत का डेरा..


मैं कश्ती तुम साहिल सुनो ओ सागर मेरे, तभी तो आँखें मूँदे कर गई अपनी चाहत मैं नाम तेरे.. 

उम्र के सफ़र में दिखी हर संभावनाएं झूठी लगे, एक तुम्हारा प्यार सच है मेरे जीने के लिए.. 


न देवता मानूँ तुम्हें न इबादत में सर झुके,

मेरी ज़िंदगी का संबल हो जिसपर यकीन की नींव टिके.. 


मौत की हरकत को अट्टहास करते देखूँ जब मैं, तब तुम मुझे अपनी आगोश में लेना.. 

मोक्ष की चाह नहीं दम निकले तुम्हारी बाँहों में तो समझो इस तन से सदियों की थकान उतरे..



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