मैं सबसे बेहतर हूं
मैं सबसे बेहतर हूं
मत समझो कि मैं कमतर हूं,
शायद मैं सबसे बेहतर हूं।
हां खुद को कभी साबित नहीं किया
जो किया अपनों के लिए किया।
मुझ में भी भाव उमड़ते हैं
मैं और मेरा मन अक्सर लड़ते हैं।
जिनके लिए जीती हूं
वो कहते हैं करती ही क्या हो ?
इन प्रश्नों पर आज भी निरुत्तर हूं
शायद मैं सबसे बेहतर हूं।
दिल में अगर प्यार ना होता
अपनों के लिए परवाह ना होती।
तो मैं भी खुले गगन में उड़ती
केवल अपने लिए ही सोती जगती।
पर क्या करूं? "मैं " नहीं है मुझमें
क्योंकि मैं अपनों की जरूरत हूं।
शायद मैं सबसे बेहतर हूं
शायद मैं सबसे बेहतर हूं।