तू गहना नहीं तलवार बन
तू गहना नहीं तलवार बन
तू गहना नहीं तलवार बन,
अपनी जीवन नैया की पतवार बन,
जो शत्रु की छाती को चीर कर रख दे,
ऐसा तू औजार बन...ऐसा तू औजार बन...
तू गहना नहीं तलवार बन ।
साज सज्जा से अब ऊपर उठ,
परे रख दे अपनी ये चूड़ियाँ,
शस्त्र और युद्ध में निपुण बन तू,
तोड़ ये नाजुकता की बेड़ियाँ,
तोड़ नहीं हो जिसका कोई,
ऐसा तू हथियार बन...ऐसा तू हथियार बन...
तू गहना नहीं तलवार बन ।
बुरी नजर को करदे अंधा,
तोड़ दे हर राक्षस की जंघा,
खुद को मत समझ कायर और निर्बल,
बहा दे अपनी वीरता की गंगा,
दुश्मन तुझे तुझे छू भी न पाये,
ऐसी तू रफ्तार बन , ऐसी तू रफ्तार बन ।
तू गहना नहीं तलवार बन ।
