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तन्मय जैन

Abstract

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तन्मय जैन

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हिंंद से हिंदी

हिंंद से हिंदी

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सिंध देश को जाने वाली सादी नदियां हिंदी है

जीवन को चमकाने वाली सारी घड़ियां हिंदी है।


जोवन, यौवन को दर्शाने वाली सारी मल्लैया हिंदी है

हे अपना बचपन हिंदी है, हे अपना बरचम हिंदी है।


है अपना कट्टर मन हिंदी है, अपना-परायापन हिंदी है

हिंदी के मरहम को जानो, हिंदी से हिन्दी को पहचानो।


हर बिंदी महती दम हिंदी है, हर दम हिन्दी को जानो

हर दम हिन्दी को मानो

हिंदी से हिंदी में लिखने-पढ़ने वाले ,शब्द लिखो तुम हिंदी में

अपना गारव, अपना गौरव, अपना अभिमान सब हिंदी है।


हिंदी की पाक-कला को तुम अपने भीतर पधरा लो

हिंदी की महतीतम छवि को हिन्दी मन में धरवा लो।


जयगान और राष्ट्र की सौरभ-महकी तुम हिंदी हो

जानो-मानो तुम हिंदी को और बिखरा दो फूल-सुमन से हिंदी को।


सोचो, समझो और ई-शब्दों में अपनी कहानियां गढ़डालो

हिंदी को सिक्ख, ईसाई, हिंदू, उर्दू और अंग्रेजन भी माने।


हिंदी की विशेषता हिंदी जन, अहिंदीमन तक पहुंचाएँ

पूरव सै लेकर पश्चिम तक और दक्षिण से पूरे उत्तर तक।


सब जन, सब मन, सब तन माने, जाने और पहचाने

हिंदी हैं हम, हिंदी ही वतन है, हिंदी को हिंदों तक पहुंचा दो।


हिंदों को हिंदी, हिंदी को हिंद, हिंद से हिंदू सब तक पहुंचा दो

जय हिंदी, जय हिंद, जय सिंध।


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