STORYMIRROR

Mahavir Uttranchali

Abstract

3  

Mahavir Uttranchali

Abstract

पाँव

पाँव

1 min
268

पाँव थककर भी

चलना नहीं छोड़ते

जब तक वे

गंतव्य तक न पहुँच जाएँ …


थक जाने पर कुछ देर

राह में विश्राम कर

पुन: चल पड़ते हैं

अपने लक्ष्य की ओर…


जबकि


घोड़े के रथ पर सवार लोग

या फिर ईंधन से चलायमान

अत्याधुनिकतम गाड़ियों में बैठे लोग

बिना पहियों के

अगले पडाव तक नहीं पहुंच पाते…


मगर

पाँव सदियों से

यात्रा करते आये हैं


कई सम्यताओं

और संस्कृतियों की दास्ताँ कहते!!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract