Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Archana Verma

Abstract

3  

Archana Verma

Abstract

प्रभु वंदना

प्रभु वंदना

1 min
548


अब जो आया हूँ प्रभु आप की शरण में

मुझे ऐसे ही आस्था में लिप्त रहने देना

जो भूल-चूक हो मेरी आराधना  में

उसे अपने ह्रदय से निकाल क्षमा कर देना


बहुत तरसता रहा मैं मन की शांति को

भटकता रहा खिन्न स्वयं से

पर जब से शरण आपकी मिली

मिल गया जीवन को उसका अभिप्राय जैसे

अब जो आया हूँ प्रभु आपकी शरण में

मुझे इस मार्ग से भटकने न देना


जीवन मेरा अपूर्ण था बिन परिवार के

माँ की ममता भाई पिता के दुलार से

पर जब से आपको समर्पित किया मैंने

कोई अपूर्णता न रही हो जैसे

अब जो आया हूँ आपकी शरण में

मुझे अपना परिवार समझते रहना


पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म इनका

मुझे ज्ञान नहीं

लोभ- चिंता, दुःख, कर्म फल

इनसे मैं अछूता नहीं

मेरे कर्मों से किसी की भावना

को आघात न हो

ऐसा मेरा मार्ग दर्शन करते रहना

जैसे रखा है मुझ पर हाथ आपने

वैसे ही अपनी कृपा सब पर बनाये रखना


मेरी प्रार्थना है जीवन मेरा

कष्टपूर्ण ही सही

पर सदा तत्पर रहूँ मैं किसी

लाचार की सेवा को

कोई खाली न जाये मेरे द्वार से

बस इतना प्रबंध करते रहना

अब जो आया हूँ प्रभु आपकी शरण में

मेरी ये प्रार्थना  स्वीकार करते रहना


अब जो आया हूँ प्रभु आप की  शरण में

मुझे ऐसे ही आस्था में लिप्त रहने देना

जो भूल-चूक हो मेरी आराधना में

उसे अपने ह्रदय से निकाल क्षमा कर देना









Rate this content
Log in