Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Archana Verma

Abstract

3  

Archana Verma

Abstract

बंदिशें

बंदिशें

2 mins
303


"इस तन पर सजती दो आँखें बोलो किस से ज्यादा प्रेम करोगे,काटना चाहो अपना एक हाथ तो बोलो किस हाथ को चुनोगे "

कुछ ऐसा ही होता है बेटी का जीवनसब कहते उसे पराया धन बचपन से ही सीखा दिए जाते हैं बंदिश में रहने के सारे फ़नएक कोख एक कुटुंब में जन्में फिर भी क्यों ये बेगानापन ?

कुछ ऐसी थी उसकी कहानी जो थी महलों की रानी,पढाई-लिखाई हर कार्य में थी निपुण फिर भी अपनापन देना सब जाते थे भूल,बंदिशें भले के लिए होती तो वो सह जाती पर भेद -भाव की बंदिशें उसके अंतर्मन को सुलगा जाती ,

एक दिन वो पूरा जोर लगा कर एक नयी परवाज़ भरती है ,छोड़ आती है पीछे वो गलियाँ जो भेद -भाव से सजती हैं बहुत मुश्किल था रिश्तों की डोर छुड़ा पाना पर उतना ही ज़रूरी था, अपने पैरों पर खड़ा हो पाना ,खुद पर ज़रूरी बंदिश रख कर, अपनी नयी पहचान बनाती हैकहने को सब पा लिया था उसने , पर अपनी असली चाह छुपाती है जो थी उसका खुद का जहान, जहाँ न हो कोई भेद भाव और लड़का लड़की हो एक समान...

वक़्त ऐसे ही बीतता जाता है और एक दिन, उस के जीवन मेंएक राजकुमार आता है ,जो सुनता है उसकी कहानी और उसका कायल हो जाता है ,मांग कर उसके बाबुल से उसका हाथ उसे अपने घर ले आता है ,

गौर से देखती है वो उन दहलीजों और दीवारों कोऔर सोचती है , क्या इस घर भी निभाने हों गा और गी के बीच के दायरों को ,इतने में आती है एक आवाज़ आती है जो उसे उस सोच से बहार ले आती है,और बतलाती है बंदिश और जंजीरों में अंतर और उसकी फ़िक्र हो जाती है छु मंतर,

फिर मिलता है उसे मातृत्व का वरदानऔर उसके घर आते हैं दो मेहमान,अपनी लाडली और लाडले को वो एकसांचे में ढालती हैभेद भाव की बंदिशों के परेअपना एक आशियाँ बनाती है,जो न जाने कब से था उसका अरमानएक घर जिसमे बंदिशें हो, पर लड़का लड़की दोनों पर एक समान...

शायद वो मिटा पायी हो , अपने अंतर्मन के घावों कोऔर दे पायी हो एक नया उदाहरणऐसी सोच के पहरेदारों को,जिन्होंने बंदिशों की आड़ में फैला रखा है भेद भावजो न समझ पाएंगे कभी उसका अंतर्द्वंद जिसे नहीं मिलती ममता की छाँव.........


Rate this content
Log in