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Sarika Rawal Audichya

Abstract

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Sarika Rawal Audichya

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रिश्तों की बुनियाद

रिश्तों की बुनियाद

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रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता

रिश्ता निभाने से रिश्ता बनता है।

दिमाग से बनाये हुए रिश्ते

बाजार तक चलते है !

और दिल से बनाये रिश्ते

आखिरी सांस तक चलते है


दिमाग से रिश्ते पल में बनते है

दिमागी रिश्तों में सिर्फ दिमाग

अपना काम करता रहता है

दिमाग सिर्फ नफ़ा नुकसान

हरदम देखता रहता है

जो दिखा नुकसान तब

तुरन्त भरे बाजार में ही साथ छोड़ता है ।।


दिल से बने रिश्ते जल्दी न बनते

दिल तो अपने समान दिल देख

रिश्ते जोड़ता बनाता है

दिल में जगह न मिलती आसानी से

लेकिन जो एक बार मिल गई

तो दिल से निकलता नहीं आसानी से


दर्द जो हो किसी एक को तो

दिल ही तो रोयेगा न उसके लिए

तड़प उठेगा दर्द को देख के

पर रिश्ते तो सौदा बन रहा गए।।


भागमभाग में रिश्ते खो गए कहीं

निभने लगे दिमाग से रिश्ते

इंसानी दिल खो गया शायद

या दिल घायल हो गया बार बार

दिमागी रिश्ते निभाते हुए ।।



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