अरदास
अरदास
मेरी सादगी साँवले चेहरे से,
उसको हुई मोहब्बत थी कभी।
मेरे नयनों का गहरा काला काजल,
कहता था वो इनको मृगनयनी नयन,
इन्ही नयनों की गहराई में खोता था,
मेरी खामोश निगाहों में डूबता था।
मेरे माथे की आड़ी टेढ़ी बिंदी को,
देख देख वो हँसता रहता था,
मेरी चिढ़ देख वो खामोश प्यार से,
खुद ही बिंदी मेरी ठीक करता था।
मेरी हरदम खनकती चूड़ियाँ हाथों की,
उसकी नींद में हमेशा बाधा डालती थी,
सोते सोते ही इनकी खनक पर झल्ला जाता,
खुद ही ढ़ेर चूड़ियां लाता मेरे नाराज़ होने पर।
मेरे देर से तैयार होने पर गुस्सा आता था,
देर लगती है तो साड़ी न पहनो तुम,
पहनो सूट, जीन्स या कुछ और पर,
साड़ी में मुझे देख होश वो खोता था।
पायल अक्सर रात- दिन, सुबह- शाम,
रूनझुन रूनझुन करती रहती हरदम,
मेरी उसकी चुगली करती बज बज कर,
जब नहीं बजती दिल होता बेचैन उसका।
आज काश वो देख सकता मुझे तो देखता,
न बिंदी है टेढ़ी मेरी जो वो ठीक करें,
चूड़ियां भी नहीं खनक रही मेरी,
पायल बन्द बक्से में कर रही चुगली।
सभी मेरे श्रृंगार हो गए खत्म आज,
एक तेरे नहीं होने से साथ मेरे,
जाते जाते बोला था तूने कि ,
अबकी सब कुछ लाओगे मेरे लिए।
यह जन्म तुम्हारा हुआ देश के नाम,
कर ली तुमने मन की अपने हो कर शहीद,
मैं अगले जन्म में भी बननी चाहूँ तेरी,
अगले जन्म में सिर्फ होना मेरे तुम।