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Sarika Rawal Audichya

Abstract

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Sarika Rawal Audichya

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अहम ये कैसा

अहम ये कैसा

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दोस्तों की लड़ाई में,

मन न लगता बिन बोले।


नज़र दोनों की है एक दूजे पर,

लेकिन बोलने की पहल कौन करे ?


क्यों कोई झुके यह बात बड़ी,

अहम इतना बड़ा है दोनों का।


कर देंगे कुर्बान दोस्ती को,

लेकिन बोलने की पहल नहीं होगी।


कोई नहीं करेगा कभी,

खुद से बोलने झुकने की पहल।


तू नहीं तो कोई और ही सही, 

दोस्त तो मिलेंगे मुझे।


दोस्ती से बढ़कर अहम है,

सब कुछ हमारे लिए।


अहम के लिए दोस्ती तो क्या,

हर रिश्ता कुर्बान कर देंगे।


झुकने की पहल नहीं करेंगे,

दिल चाहे कितना भी रोये।


लेकिन हम अहम को कभी,

तोड़ेंगे नहीं किसी के सामने।


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