हिंदी तो है सुधा जैसी
हिंदी तो है सुधा जैसी
हिंदी तो है सुधा जैसी, जग में न भाषा ऐसी,
समझ न ऐसी वैसी, हिंदी सरताज है ।
सीधी-सादी भाषा हिंदी, भाषाओं में है ये बिंदी ,
इसे सीखे सिक्ख सिंधी, इसीलिए नाज है।
ज्यादा बोली जाने वाली, गीतों से झुमाने वाली,
अलख जगाने वाली, भाषा यह आज है ।
बनी राष्ट्र की न भाषा, दिखे लोगों में हताशा
छोड़ो अभी मत आशा, अपना ही राज है।