अपनी है भाषा हिंदी
अपनी है भाषा हिंदी
अपनी है भाषा हिंदी, सिर की है मानो बिंदी,
बोले बौद्ध सिक्ख सिंधी, इस को सलाम है।
इस में मिठास बड़ी, जोड़े दिल की ये कड़ी,
लिखो पढ़ो घड़ी-घड़ी, जरूरी ये काम है ।
खोजो एक अच्छा गुरू, आज से ही कर शुरू,
रच नित कविता तो, हासिल मुकाम है।
इसमें अनेक कवि, सूर्य-चंद्र सी है छवि,
शोभे ये तो जैसे रवि, दुनिया में नाम है।
