सांसों में मधुवन की खुशबू
सांसों में मधुवन की खुशबू
सांसों में मधुवन की खुशबू, अधर कमल मधु खान
चंदा-सा मुखड़ा है अनुपम,कुंतल मेघ समान।
चंद्रवदन पर शोभ रहे हैं,दो छोटे शशि कान
नयन झील में डूब रहे हैं, मेरे तो दिल जान।
कहीं मेरु तो कहीं कंदरा, कहीं सुरम्य कछार
समतल पर चलते चलते ही,दिखे भँवर इक धार।
कहीं कमल तो झील कहीं है, कहीं खिले गुलनार
नहीं प्रकृति से भिन्न कभी है, नारी का विस्तार।
विरहन की हालत मत पूछो, दिल में पीर अपार
चाहूँ तो दिल को बहलाना, आता नहीं करार।
सावन में जब वर्षा गाती, छेड़े राग मल्हार
नैनों से फिर बहने लगती, अँसुवन की बौछार।