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Mahavir Uttranchali

Abstract

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Mahavir Uttranchali

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मन्त्रमुग्ध गढ़वाल

मन्त्रमुग्ध गढ़वाल

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‘गढ़वाल’

जैसे किसी चित्रकार की

कोई सुन्दर कलाकृति


बावजूद आधुनिक संसाधनों के अभाव में

यहाँ निरंतर प्राकृतिक सौन्दर्य के भाव में

छिपी है अध्यात्मिक भूख और आत्मतृप्ति

भौतिकवाद दिखावे के अतिरिक्त यहाँ कुछ भी नहीं


निर्धनता के पश्चात भी

यहाँ व्याप्त है / संतोष पर्याप्त

जंगलात के कंदमूल

शद्ध हवा और पानी में

है यहाँ के दीर्घ जीवन का सार ।


सनातन धर्म की प्रवाहमान धारा के तहत

यहाँ प्रचलित है अनेक लिखित-मौखिक किद्वान्तियाँ

रूढ़ियाँ और किस्से कहानियां…

यहाँ पशुबलि और भूत भात

पैतृक दोष और छुआछात

देव नरसिंह और नरकार

जागर-मागर और जात/घात

है पारम्परिक विरासत और सौगात


खड़े हैं युगों से स्थिर

न जाने कितने असंख्य अदभुत रहस्य

अपने गर्भ में छिपाये / सौन्दर्य बिखेरते

श्रृंखलावद्ध विशालकाय पर्वत


जिनकी गोद में ..

ये मंत्रमुग्ध गढ़वाल

और उत्तराखंड की संस्कृति

है पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुरक्षित ।


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