इश्क की आग
इश्क की आग


तुझ को भूलना चाहता हूँ सनम,
लेकिन मैं तुझे भूल सकता नहीं,
तेरी याद मुझ को आती है उसको,
भूलने की भूल कर सकता नहीं।...
प्रथम मुलाकात में नज़र मिली थी,
इश्क के हसीन रंग में डूब गये थे,
वो मस्त मौसम में मिलन किया था,
उसे आज तक मैं भूल पाया नहीं।...
तेरे हुस्न का जादू चला था मुझ पर,
इश्क का दीवाना तूने बनाया था,
वादा किया तूने साथ निभाने का,
उसे आज तक मैं भूल पाया नहीं।...
मधुर महकती हुई बसंत में हम,
इश्क की महफ़िल में खूब झूमे थे,
इश्क के तराने साथ मिल के गाये थे,
उसे आज तक मैं भूल पाया नहीं।...
इश्क की गहराई में डूबा कर के तुम,
नफ़रत का तोहफ़ा देकर चली गई,
इश्क की आग में ज़लाया "मुरली",
उसे आज तक मैं भूल पाया नहीं।...