STORYMIRROR

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Thriller

4  

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance Thriller

मज़ा तो तब है

मज़ा तो तब है

1 min
279


वो नज़र तेरी किस काम की,

जिस में जाम छलकती न हो,

मज़ा तो तब है इस जाम का,

जिस से रोम रोम लहराता हो।


वो महफिल तेरी किस काम की,

जिस में दिल की तड़प न हो,

मज़ा तो तब है तेरी चाहत का,

जिस में दिल जले और राख हो।


वो हुस्न तेरा किस काम का,

जिस के हम कभी दीवाने न हो,

मज़ा तो तब है तेरे हुस्न का,

जिस मे हम मदहोश बन गये हो।


वो मिलन तेरा किस काम का,

जिस में इश्क का इज़हार न हो,

मज़ा तो तब है मिलन का "मुरली",

 जिस में दिल से तेरा इस्तकबाल हो।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance