कब कयामत होगी?
कब कयामत होगी?


नज़र मैं मिलाता चाहता हूँ,
वो सामने कभी देखती नहीं,
रुठकर वो चली जाती है,
पुकार मेरी कभी सुनती नहीं।
मैं मिलन करना चाहता हूँ,
वो वादा कभी निभाती नहीं,
इंतजार मुझे कराती रहती है,
मुझे तड़पाना छोड़ती नहीं।
दिल की धडकन सुनाता हूँ,
वो ताल कभी मिलाती नहीं,
दिल में उसकी तस्वीर है,
वो झांककर देखती ही नही।
मै तन्हा तन्हा रहता हूँ,
वो तन्हाईयांँ कभी समझती नहीं,
दर्द दीवाना मुझे बनाया है,
वो दर्द का इलाज करती नहीं।
नफरत से मैं परेशान हूँ,
वो इश्क पर कभी एतबार नहीं,
कब कयामत होगी "मुरली",
वो बांहों में कभी सिमटती नहीं।