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Rajeev Rawat

Romance Inspirational

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Rajeev Rawat

Romance Inspirational

हाथों में हाथ - - दो शब्द

हाथों में हाथ - - दो शब्द

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जब झुरमुटों के बीच

शर्माती सी चांदनी की उज्जवल किरणें

करती हुई अठखेलियाँ,

नदी की जल धारा कल कल ध्वनि से

छेड़ते हुए अविरल गीत--

शिशिर ऋतु की बहती हवाओं से

दो दिलों के मिलन के रिद्म लिए झरता संगीत--

तुमने अपना

कंपकंपाता, सिहरन से भरा हाथ जब मेरे हाथ में रखा था

कितना आकल्पनीय था वह मंजर--

हृदय की धरा पर जिंदगी में पहली बार पनपा था

प्यार के अहसासों का, जीवन में किसी के विश्वास का

एक नन्हा सा अंकुर जो इससे पहले थी

सूखी और बंजर--

वह पल आंखों के रास्ते

दिल की दीवार पर गोद गया था एक चित्र-

अलिखित थे शब्द,

हम भी चुप थे, कायनात भी निःशब्द


दिलों की धड़कनें ही धड़कनों से बोल रहीं थीं--

जिंदगी में प्रथम अहसासों के रंग शरीर के

रक्त शिराओं में सिहरन बन कर

आहिस्ता से घोल रहीं थीं--

छलकते पेशानी पर श्वेत विंदु

हाथों में पसीने से भिंगती उंगलियों ने

उस दिन

कभी न फिसलने की खाई थी कसम --

पूरी जिंदगी हर सुख-दुःख में,

जीवन के गमों में

एक दूसरे के हाथों को लेकर हाथ निभाते रहे हर रस्म - -

तूफानों को झेलते हुए


जीवन के झंझावतों को करते रहे हम पार-

कभी रूके, कभी थके

लेकिन हारे नहीं क्योंकि थामे रहे

एक दूजे का हाथ--

कितने रिश्ते बंधे और कितने रूठ गये-

रेत की भांति बंद मुट्ठी से लाखों कोशिशों के बाद भी एक एक कर छूट गये-

अब

जब शरीर के

अवयव निस्तेज हो गये हैं--

सपनों के पंछी भी थक कर सो गये हैं-

अधखुली आंखों में तुम ओर तुम्हारे साथ रहने की मात्र एक आशा डोलती है--

सच कहता हूं प्रिय,

जिंदगी के इस मोड़ पर अधर नहीं,

धड़कनें नहीं, शरीर नहीं,

मौसम और ऋतुओं की सरसराहटें नहीं

बस

हमारे कंपकंपाते हाथों के स्पर्श ही

अनकही अहसासों की भाषा बोलती है--

                            


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