"गलतियाँ"
"गलतियाँ"
समझा न दिल को न करे गलतियाँ है ये सही नहीं,
जो कि थी नादानी मैंने पहले कभी, अब उसे दोहराने का मेरा मन नहीं।।
समझा न दिल को...........
माना कि दिल बेचैन था, धड़कने भी उस पल तेज थीं,
माना कि दिल नादान था, पर नादान बनने का अब मेरा मन नहीं।।
समझा न दिल को न करे गलतियाँ है ये सही नहीं,
जो कि थी नादानी मैंने पहले कभी, अब उसे दोहराने का मेरा मन नहीं।।
समझा न दिल को.......
कुछ इस तरह से रुक गया था वो समा
थी चाह जीने की, था दिल खुशनुमा
हर याद में तेरी वजह से मुस्कुराहट थी जहाँ
न जाने धीरे-धीरे खो गयी है कहाँ।।
समझा न दिल को........
अब तो कुछ कह भी न पा रहें
रास्ता सही या गलत बस चलते जा रहें
मेरी शाम अब कुछ-कुछ बेजुबां हो चली
अब ये न कहना हम भी जी न पा रहें।।
समझा न दिल को.......
चाह कर भी न आएंगे हम अब उस गली
जो तुम सोच रहे कर लो इस पल वही सही
पूछो याद किया मैंने तुम्हें हाँ या ना
पर चाहत नहीं मिलूँँ अब तुमसे कभी।।
समझा न दिल को......
मजाक थे न हम आपके लिये कहीं न कहीं
झूठी थी न आपकी मेरे लिये वो हँसी
बीता वक्त पूछेंगे हम अब कुछ नहीं
याद रहोगे अच्छी यादों में हमेशा तुम भी।।
समझा न दिल को.......