इनकार कर
इनकार कर
इनकार कर, अब फिर से न इजहार कर,
वक्त है तेरा अनियमित, फुरसत में है ,
अब ऐसा न व्यवहार कर
इनकार कर ।।
दिल दुखा, दो शब्द बोल, तसल्ली तुझे
अब न प्यार कर,
कर दुआ, न शब्द तोल, महफ़िल में है,
न टकरार कर
बस इनकार कर।।
तेरी जिक्र में जो मेरी फिक्र है, लफ्जों से बस न प्रहार कर
ये जो फासले हैं, इनको मिटा, यूं ही न इश्क बेकार कर।
इनकार कर।।
माना उलझने हैं तेरे मेरे दर्मियां, इनके न कई प्रकार कर,
तेरी ज़िन्दगी है, ज़िन्दगी को देख, ज़िन्दगी से अब न खिलवाड़ कर।
इनकार कर, इनकार कर, इनकार कर ।।