गजल (गांठ)
गजल (गांठ)
प्यार से कुछ भी किसी से बोल लो तुम,
मन में रखी है गांठ अगर उसको तुरंत खोल लो तुम,
सांस का कोई भरोसा नहीं,
मत झगड़ा किसी से मोल लो तुम।
शब्द ही करते हैं घाव बड़े से बड़ा, बोलने से पहले तोल लो तुम।
कड़वी बातें भाती नहीं किसी को, हर बात में मिसरी घोल लो तुम।
ज्ञान विज्ञान से ही संभव नहीं
पढ़ लो इतिहास और भूगोल तुम,
हर खुशी होगी आपकी जेब में सुदर्शन, मीठा बोल सब से बोल लो तुम।
इनसान बन कर आये हो इस संसार में अगर तुम
तो इनसानियत की अहमियत खोल दो तुम।
खाली हाथ आये थे खाली हाथ जाओगे,
धन चाहे कितना भी जोड़ लो तुम।
नेकी या बदी जायेगी साथ तेरे
सुदर्शन, क्या चाहता है सोच लो तुम।
आखिर शरीर बन जायेगा मिट्टी तेरा क्रीम पाउडर,
जितने मर्जी उडोल लो तुम।
गरीब अमीर का अन्त होगा एक जैसा,
महफिलों मंजिलों में जितनी मर्जी मौज। लो तुम।
कर ले बंदगी उस रब की हर पल ,
अन्त में वो ही दिखायेगा आखिर कौन हो तुम।