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Abhinav Kumar

Drama Tragedy

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Abhinav Kumar

Drama Tragedy

दर्द की दास्तान

दर्द की दास्तान

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ना क़ब्र मिली, ना सब्र मिला,

ना फ़रिश्तों वाला अब्र मिला,

दुनिया की आपाधापी में,

ना दूजों से, ना ख़ुद से मिला।


सब पाकर भी, बेदिली रही,

किससे बाटें, अपने किस्से,

वो सुनकर भी,खामोश रहे,

तन्हाई थी, अपने हिस्से।


अब पूछते हैं किस ओर चले,

रातों को उठकर हाथ मले,

मिट्टी से बने, मिट्टी में मिले,

बस ख़त्म हुए, सब शिक़वे-गिले।


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લોગિન

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