STORYMIRROR

Abhinav Kumar

Romance

2  

Abhinav Kumar

Romance

तलाश

तलाश

1 min
204


कोशिश करता रहा

पर वो दूर होती गई

उससे वस्ल की उम्मीद

ख़्वाबों में खोती गई


फुरकत की वज़ह मुझ को

मालूम नहीं है

तनहा सा दिल ये मेरा

मज़लूम यहीं है


बेचैन हूं मैं हरदम

जान सांसत में फंसी है

हैरान सब ये सुनकर

उसका नाम "खुशी" है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance